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बाली यात्रा

ओडिशा के समृद्ध समुद्री इतिहास को याद करने वाला त्योहार, बाली यात्रा, पूरे राज्य में मनाया जाता है। ऐतिहासिक शहर कटक में, कार्तिक पूर्णिमा के दिन (कार्तिक महीने, अर्थात अक्टूबर-नवंबर, की पूर्णिमा) से शुरू होकर एक सप्ताह तक चलने वाला कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

Map of India highlighting the extent of the Kalinga Empire

कलिंग साम्राज्य की सीमा को दर्शाता हुआ भारत का मानचित्र

कलिंग साम्राज्य (वर्तमान ओडिशा) अपने शानदार समुद्री इतिहास के लिए जाना जाता है। कलिंग की भौगोलिक स्थिति के कारण, इस क्षेत्र में चौथी और पाँचवी शताब्दी ईसा पूर्व से ही बंदरगाहों का निर्माण होने लगा था। ताम्रलिप्ति, माणिकपटना, चेलिटालो, पलूर, और पिथुंड जैसे कुछ प्रसिद्ध बंदरगाहों द्वारा भारत समुद्र के रास्ते अन्य देशों से जुड़ सका। जल्द ही, कलिंग वासियों ने श्रीलंका, जावा, बोर्नियो, सुमात्रा, बाली और बर्मा के साथ व्यापारिक संबंध बना लिए। बाली उन चार द्वीपों का हिस्सा था जिसे सामूहिक रूप से सुवर्णद्वीप कहा जाता था, जिसे आज इंडोनेशिया के रूप में जाना जाता है।

कलिंग वासियों ने ‘बोइता’ नाम की बड़ी नावों का निर्माण किया और इनकी मदद से उन्होंने इंडोनेशियाई द्वीपों के साथ व्यापार किया। इन जहाजों के ढाँचे तांबे के होते थे और इनमें एक बार में सात सौ आदमी और जानवर सवार किए जा सकते थे। दिलचस्प बात यह है कि कभी बंगाल की खाड़ी को कलिंग सागर के रूप में जाना जाता था क्योंकि यह कलिंग के इन जहाजों से भरी होती थी। समुद्री मार्गों पर कलिंग वासियों के प्रभुत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि कालिदास ने अपनी ‘रघुवंश’ नामक रचना में कलिंग के राजा को ‘समुद्र का देवता’ कहा है।

Map of the sea routes of the Kalinga Empire.

कलिंग साम्राज्य के समुद्री मार्गों का नक्शा


कलिंग वासी अक्सर बाली द्वीप के साथ कारोबार करते थे। व्यापार-वस्तुओं के साथ-साथ विचारों और विश्वासों का भी आदान-प्रदान हुआ। ओडिया व्यापारियों ने बाली में बस्तियों का गठन किया और यहाँ की संस्कृति और आचार निति को प्रभावित किया। इससे क्षेत्र में हिंदू धर्म का विकास हुआ। हिंदू धर्म का बाली द्वीप की अवधारणाओं के साथ अच्छा ताल-मेल रहा और आज भी, बहुसंख्यक आबादी ने ‘बाली हिंदू धर्म’ अपनाया है। वे विभिन्न हिंदू देवताओं जैसे शिव, विष्णु, गणेश और ब्रह्मा की पूजा करते हैं। भगवान् शिव को पीठासीन देवता और बुद्ध का बड़ा भाई माना जाता है।

Boats made of banana leaves with lighted candles

जलती हुई मोमबत्तियों के साथ केले के पत्तों से बनी हुई नौकाएँ

इन प्रभावों के परिणामस्वरूप, बाली के लोग शिवरात्रि, दुर्गा पूजा और सरस्वती पूजा जैसे हिंदू त्योहार भी मनाते हैं। दिलचस्प बात यह है कि बाली में मनाया जाने वाला ‘मसकपन के तुकड़’ त्योहार ओडिशा में बाली यात्रा उत्सव के समान है। दोनों त्योहार अपने-अपने समुद्री पूर्वजों की याद में मनाए जाते हैं।

बाली यात्रा का शाब्दिक अर्थ है ' बाली की यात्रा'। हर साल कार्तिक पूर्णिमा उस दिन को चिन्हित करती है जिस दिन समुद्री व्यापारी इंडोनेशियाई द्वीपों के लिए रवाना हुआ करते थे। इस त्योहार के लिए, ओडिशा के लोग अपने शानदार समुद्री इतिहास का जश्न मनाने के लिए बड़ी संख्या में रंग-बिरंगे परिधानों में इकट्ठा होते हैं। इस उत्सव में भव्य मेले, विस्तृत सवारियाँ, भोजन और नृत्य शामिल हैं। उत्सव के हिस्से के रूप में, भारतीय महिलाएँ ‘बोइता बंदना’ का प्रदर्शन करती हैं, और कागज़ या केले के पत्ते (शोलापीठ) की नावों के अंदर जलते हुए दीये रखकर उन्हें महानदी में तैराती हैं। बाली यात्रा उन विशेषज्ञ नाविकों की प्रतिभा और कौशल का जश्न मनाती है जिन्होंने कलिंग को अपने समय के सबसे समृद्ध साम्राज्यों में से एक बनाया था ।

Bali Yatra celebration in Cuttack

कटक में बाली यात्रा उत्सव