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किला अगुआड़ा: अरब सागर में एक पुर्तगाली परकोटा

पुर्तगाली भाषा में "अगुआड़ा" शब्द का अर्थ ताज़ा पानी होता है। किला अगुआड़ा, गोवा में, पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया था, जिन्होंने 1609 ई. में इसका निर्माण शुरू किया और 1612 ई. में निर्माण कार्य समाप्त कर दिया था। यह भारत के कनारा तट पर सामरिक रूप से मांडवी नदी और अरब सागर के संगम पर स्थित है। यह इस क्षेत्र के सबसे अभेद्य किलों में से एक माना जाता है।

Fort Aguada, Image Source: Wikimedia Commons

किला अगुआड़ा, चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

पुर्तगाली भारत में आने वाले पहले यूरोपीय शक्तियों में से एक थे। भारत के लिए समुद्री मार्ग खोजने के लिए उनका जुनून ऐसा था कि तत्कालीन शासक, पुर्तगाल के राजकुमार हेनरी को "नेविगेटर" (नाविक) का उपनाम दिया गया था। हालाँकि, यह जुनून एक सुदृढ़ बुनियाद पर आधारित था। भारत आने के अधिकांश भू-मार्ग अरबी लोगों के एकाधिकार के अधीन थे, जो भारत और यूरोप के बीच सभी व्यापारों के लिए मध्यस्थ के रूप में कार्य करते थे। 15वीं शताब्दी में यूरोप का विकास, जैसे कि पुनर्जागरण, अपने साथ अनुसंधान और अन्वेषण की भावना लेकर आया। पश्चिम के कई क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ मसालों और प्राच्य विलासिता की वस्तुओं की माँग बढ़ गई।

यह एक पुर्तगाली यात्री वास्को द गामा ही था, जिसने 1498 ई. में भारत के लिए एक सीधा समुद्री मार्ग खोजा था। 16वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान, भारत में पुर्तगाली उपस्थिति का मराठों द्वारा विरोध किया गया। जल्द ही, डच लोगों जैसी अन्य उपनिवेशवादी शक्तियाँ भी उपमहाद्वीप आ पहुँची।

Fort Aguada- top view, Image Source: Wikimedia Commons

किला अगुआड़ा- शीर्ष दृश्य, चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

किला अगुआड़ा का निर्माण मराठा और डच आक्रमणकारियों से बचाव के लिए किया गया था, जो भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापार और क्षेत्रीय नियंत्रण के लिए पुर्तगालियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते थे। पूर्व के अनुभवों ने पुर्तगालियों को इस क्षेत्र में भारतीय व्यापार पर नियंत्रण बनाने का प्रयास करने वाली अन्य यूरोपीय शक्तियों के विरुद्ध अपने बचाव को सुदृढ़ बनाने का महत्व सिखाया था। 1604 ई. में डच जहाजी बेड़े (आर्मडा) ने मांडवी नदी पर आक्रमण किया। रिस मगोस किला, गैस्पर डियास किला और काबो किला, जो पहले ही पुर्तगालियों द्वारा स्थानीय आक्रमणकारियों को रोकने के लिए स्थापित किए गए थे, विदेशी शक्तियों के विरुद्ध अप्रभावी साबित हुए। हालाँकि, डच अंततः हार गए, परंतु कई पुर्तगाली जहाजों की हानि हुई। दो साल बाद, डच ने फ़िर से मांडवी नदी के मुहाने को अवरुद्ध कर दिया, जिससे सभी जहाजों के आवागमन के लिए बंदरगाह बंद हो गया।

पुर्तगाल के कैथोलिक राजा डोम फ़िलिप के शासनकाल के दौरान गोवा में किला अगुआड़ा का निर्माण शुरू हुआ था। स्थल पर, इसके निर्माण का निरीक्षण वाइसरॉय रुय तवारा ने किया था। पुर्तगालियों ने इतालवी सैन्य वास्तुकारों को अपनी स्वदेशी शैली में एक अभेद्य किले का निर्माण करने के लिए नियुक्त किया। इस संरचना के निर्माण के लिए गोवा में स्थानीय रूप से उपलब्ध लैटेराइट पत्थर का उपयोग किया गया। किले का व्यापक विन्यास समुद्र के प्राकृतिक क्षेत्र के किनारे फैला है और अपने फायदे के लिए इसका उपयोग करता है। किला दो स्तरों पर बना है – पहला, समुद्र तल पर एक समतल चबूतरा और दूसरा, पहाड़ी के उच्चतम स्थान पर स्थित एक दुर्जेय गढ़। समुद्र तल पर, बैरक, जेल, बारूद के लिए भंडारण कक्ष, आवास कक्ष और एक प्रार्थनालय भी है। समुद्र तल के समतल चबूतरे के सबसे महत्वपूर्ण उपयोगों में से एक, आने वाले पुर्तगाली जहाजों को सुरक्षित और संरक्षित बंदरगाह प्रदान करना था। भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे पहले दुर्जेय नौसेना लाने वाले पुर्तगाली ही थे तथा स्थूलकाय तोपों से लैस उनके दोहरे डेक वाले जहाज अद्वितीय थे। किले का परिसर मोटी दीवारों से घिरा था जिसमें नियमित अंतराल पर तोपों के लिए कंगूरे बने थे। सबसे बाहरी किलेबंदी के अवशेष अभी भी नदी के किनारे जगह जगह पर पाए जाते हैं। यह किला समुद्र और जमीन दोनों से होने वाले हमलों से बचाव करने के लिए लैस था।

Fort Aguada, Upper Citadel; Image Source: Archaeological Survey of India

किला अगुआड़ा, ऊपरी गढ़; चित्र स्रोत: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण

किले का गढ़ चौकोर आकार में बनाया गया था जिसमें तीन कोनों पर भारी सुरक्षा से लैस बुर्ज निर्मित थे। इन बुर्जों को मोटी दीवारों और सूखी खाइयों की मदद से संरक्षित किया गया था। चौथे कोने में गढ़ का मुख्य द्वार था, जिसके आगे नदी तक जाने वाली तीव्र ढलान थी। इस द्वार पर बहुत संकरे रास्ते से पहुँचा जा सकता था और यह लोहे की नोंक वाले दरवाजों से अवरुद्ध किया गया था। ऊपरी गढ़ एक समय में कुल 200 तोपों का उपयोग कर सकता था, जिससे यह एक दुर्जेय संरचना बन गई थी। यहाँ से अरब सागर के व्यापक क्षितिज में दूर तक नज़र रखी जा सकती थी और इस प्रकार क्षेत्र में स्थित पुर्तगाली गढ़ के केंद्र को सुरक्षित किया जाता था।

गढ़ के अंदर पानी का एक बड़ा कुंड और ताज़े पानी का झरना भी था, जो यहाँ रुकने वाली सभी जहाजों के लिए पानी की आपूर्ति करता था। ऐसा माना जाता है कि इस कुंड की खुदाई में निकले पत्थरों से ही किले को बनाने में मदद मिली थी।

अगुआड़ा किले की एक अन्य प्रमुख विशेषता 1864 ई. में निर्मित लंबा चार मंजिला प्रकाश स्तंभ है, जो जहाजों को बंदरगाह तक सुरक्षित रूप से पहुँचने के लिए मार्गदर्शन करता था। यह पूरे एशिया में इस तरह का सबसे पुराना प्रकाश स्तंभ है। यह प्रकाश स्तंभ प्रारंभ में समुद्र में प्रकाश के उत्सर्जन के लिए तेल के लैंप का उपयोग करता था। हम इस प्रकाश स्तंभ में वाइसरॉय रुय तवारा और किले के वास्तुकारों को समर्पित एक तांबे की प्लेट भी पा सकते हैं। यह प्रकाश स्तंभ तो अब आम जनता के लिए खुला नहीं है, लेकिन खड़ी चट्टान के किनारे 20वीं शताब्दी में बना एक दूसरा प्रकाश स्तंभ देखने के लिए खुला है। इस प्रकाश स्तंभ को "अगुआड़ा प्रकाश स्तंभ" कहा जाता है।

Fort Aguada, Lighthouse; Image Source: Wikimedia Commons

किला अगुआड़ा, प्रकाश स्तंभ; चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

किले में एक और चित्ताकर्षक संरचना "आवर लेडी ऑफ़ गुड वॉयेज" को समर्पित प्रार्थनालय था, जहाँ आने वाले जहाज लंगर डालते और आगे की यात्रा हेतु निकलने से पहले फिर से सामान इत्यादि खरीदते थे। शीर्षक "आवर लेडी ऑफ़ गुड वॉयेज" का उपयोग वर्जिन मैरी को दर्शाने के लिए किया गया था और कहा जाता है कि इसकी उत्पत्ति पुर्तगाल के समुद्री समुदायों के बीच हुई थी।

Fort Aguada Jail, Image Source: Wikimedia Commons

किला अगुआड़ा जेल, चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

गढ़ और निचले स्तर पर लंगर डालने वाली जगह को जोड़ने के लिए समानांतर रक्षात्मक दीवारें हैं। निचले स्तर पर, प्रसिद्ध "माए डी अगुआ" अथवा "मदर ऑफ़ वाटर" (जल माता) है, जो एक अविश्वसनीय रूप से बड़ा ताजे पानी का झरना है। यह स्थान आगंतुकों के लिए बंद है क्योंकि इसका फ़िलहाल तक जेल के रूप में उपयोग किया गया था। 2015 में, इसके कैदियों को कोलवाल जेल में स्थानांतरित का दिया गया था और इस स्थल को एक पर्यटन और विरासत स्थल के रूप में विकसित किया जाना था। जेल के दरवाजों के सामने एक प्रसिद्ध मूर्ति लगी हुई है। इसमें गोवा के स्वतंत्रता संघर्ष के प्रतीक के रूप में गोद में बच्चा लिए हुए एक आदमी और जंजीरों को तोड़ रही एक महिला को दिखाया गया है। उनके पीछे भारत का राष्ट्रीय प्रतीक, अशोक स्तंभ बना हुआ है।

Fort Aguada- Inside view; Image Source: Wikimedia Commons

किला अगुआड़ा- आंतरिक दृश्य, चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

आज भी, इसके निर्माण के सैकड़ों साल बाद, इस संरचना के सामरिक महत्व और वर्षों के इसके ऐतिहासिक विकास को समझना मुश्किल नहीं है। बाहर की तरफ़, यह अरब सागर के विशाल विस्तार की ओर देखते हुए हमें पश्चिम की औपनिवेशिक शक्तियों के आगमन की याद दिलाता है। अंदर की तरफ़, किले के गुप्त और घुमावदार मार्ग, भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापार और प्रभुत्व के लिए इन शक्तियों के बीच हुए प्रबल और जटिल शक्ति संघर्ष के प्रतीक हैं।