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योग

Domain:ब्रह्मांड और प्रकृति से संबंधित ज्ञान और प्रथाएँ

State: संपूर्ण भारत

Description:

योग संपूर्ण भारत में किया जाता है। इसमें गुरु और शिष्यों की सक्रीय भागीदारी सम्मिलित है जिसमें लिंग, आयु या धार्मिक प्रवृत्तियों के बंधनों से परे व्यक्ति, संस्थाएँ और आम सार्वजनिक गुट, सोसाइटियाँ, समुदाय, शैक्षणिक संस्थाएँ और समाज के आम लोग जैसे विस्तृत श्रेणियों के लोग सम्मिलित होते हैं। आज कल योग एक समग्र शारीरिक और आध्यात्मिक कल्याण प्रणाली है जिसका पूरे भारत में उपयोग किया जाता है, जबकि इसकी प्राचीन प्रणाली सिंधु घाटी सभ्यता से पहले उत्पन्न हुई थी। इस तथ्य की पुष्टि भारतीय उप महाद्वीप पर पुरातात्विक खोजों से हुई है और इसके अतिरिक्त भारतीय साहित्य में इस विषय पर लगभग लगातार लिखे हुए ग्रंथों की परंपरा है जिसमें योग के भौतिक, व्यावहारिक, तात्विक और आध्यात्मिक पहलुओं पर चर्चा की गई है। इसके अतिरिक्त, पारंपरिक भारतीय नृत्य और नाट्य कला की तकनीकियों में योग क्रियाओं के विभिन्न आसन, इशारे और साँस लेने के व्यायाम प्रचुर मात्रा में सम्मिलित हैं। मूल रूप से योग व्यक्तिगत, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण हेतु एक पारंपरिक और प्राचीन भारतीय समग्रतात्मक एकीकरण पर केंद्रित है। यह निर्देशों और अभ्यास के बीच एक जीवंत संपर्क का सबसे उचित उदहारण है। अन्य भारतीय परंपराओं की तरह यह प्रणाली भी गुरु से शिष्य को सौंपी जाती है, जो कठिन अभ्यास के बाद इस प्रणाली में पारंगत हो जाता है और स्वयं गुरु बनाने और दूसरों को सिखाने योग्य बन जाता है। पतंजलि ऋषि के इसे अपने योग्सुत्रों में पद्धतिबद्ध करने से पहले, ऋग वेद और शतपथ ब्राह्मण से लेकर उपनिषद् और भगवत गीता जैसे दार्शनिक ग्रंथों तक भारतीय लेखन परंपरा में योग की उपस्थिति अच्छी तरह से प्रलेखित है। पतंजलि के बाद कई महान ऋषियों और योग गुरुओं ने अपने आलेखों के माध्यम से इस प्रणाली के बौद्धिक संरक्षण और प्रोत्साहन में योगदान दिए। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव इस प्रणाली के सबसे पहले गुरु थे। योगिक शास्त्रों के अनुसार योग करने से व्यक्तिगत चेतना का सार्वभौमिक चेतना से मिलन हो जाता है और इस प्रकार से तत्त्वों के बीच सही सामंजस्य इंगित होता है। योग का उद्देश्य सभी प्रकार के कष्टों को कम करने या दूर करने और मुक्ति की स्थिति प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए आंतरिक स्वयं को महसूस करना है। व्यापक रूप से प्रचलित योगा अभ्यास हैं यम (पाँच परहेज़), नियम (पाँच अनुपालन), आसन (आसन), प्राणायाम (सांस रोकना), प्रत्याहार (अमूर्तता), धारणा (एकाग्रता), ध्यान (चिंतन), समाधि (पूरी तरह से एकीकृत चेतना) , बन्ध (ताला) और मुद्राएँ (आंगिक अभिनय), शत-कर्म (सफाई के तरीके), युक्त-आहार, (समग्र भोजन), युक्त कर्म (सही क्रिया) और मंत्र जाप (पवित्र शब्दों का जप) और भी बहुत कुछ। योगिक अभ्यास जीवन के संतुलित तरीके को बनाए रखने के लिए लाखों लोगों की मदद करता है।